रेलवे स्टेशन बोर्ड पर समुद्र तल से ऊँचाई क्यों लिखी होती है?

Md Danish Ansari
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टाइटल को पढ़ कर आप में से बहुत से पाठक ऐसे होंगे। जो यह सोच रहे होंगे कि रेलवे स्टेशन बोर्ड पर “समुद्र तल से ऊँचाई” ट्रैन के ड्राइवर के लिए लिखी जाती होगी। लेकिन दोस्तो यह बात सही नही है, ट्रेन के ड्राइवर को इससे कोई मदद नही मिलती।
हमारे देश में ज्यादातर स्टेशन स्वतंत्रता के पूर्व के है। उस समय वाष्प इंजन चला करते थे ये तो आप सभी जानते ही होंगे। वाष्प इंजन डीज़ल इंजन और विधुत लोको इंजन इन सभी में गियर नही होता। लेकिन डीज़ल और विधुत इंजन में थ्रोटल और टैप होता है। यह गियर से बिल्कुल अलग तरह का होता है।
इसलिए यह कहना कि समुद्र तल से ऊँचाई लिखने का मतलब यह है कि इससे लोकोपायलट को मदद मिलती है। यह बात पूरी तरह से गलत है, बेतुकी और हास्यास्पद है। असल में समुद्र तल से ऊँचाई सिविल इंजीनियर के लिए लिखा होता है। समुद्र तल से ऊँचाई सिविल इंजीनियर के लिए रेफेरेंस के तौर पर लिखा जाता है। जो स्टेशन निर्माण के वक़्त लिखा जाता है।
असल में समुद्र तल से ऊँचाई ट्रेन के ईंधन ख़पत की गड़ना में काम में आता है। इसी के मदद से ट्रेन में लगने वाली ईंधन की गड़ना की जाती है। फिर चाहे वह वाष्प इंजन हो या डीज़ल या विधुत। स्टेशन की समुद्र तल से ऊँचाई जितनी ज्यादा होगी। ईंधन की खपत भी ज्यादा होगी। यानी ढ़लान पर ईंधन की ख़पत कम और चढ़ाई पर ईंधन की ख़पत ज्यादा होगी।
जहाँ तक ट्रेन ड्राइवर की बात है तो ट्रेन का ड्राइवर स्टेशन पर लगे। समुद्र तल की ऊँचाई के बोर्ड को नही बल्कि पटरी के बाजू में लगे ग्रेडिएंट पोस्ट को देखता है। जिस पर 100, 200, 500, 1000 इत्यादि के साथ तीर का निशान ऊपर या नीचे की तरफ संकेत करके लिखा होता है। यह ग्रेडिएंट ट्रेन ड्राइवर यानी लोकोपायलट को चढ़ाई या ढलान की जानकारी देता है।
सामान्यतः ट्रेन के ड्राइवर को अधिकतम ग्रेडिएंट की जानकारी पहले से होती है। इसे रूलिंग ग्रेडिएंट कहा जाता है। इसके साथ ही जिस जगह पर समतल ज़मीन होती है। वहाँ पर “L” लिखा होता है, जिसका मतलब होता है Level यानी समतल या एकसमान।
उम्मीद है दोस्तों की आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। यह जानकारी आपकी जनरल नॉलेज में बढ़ोतरी करती है। इसके साथ ही यह कॉम्पिटिशन एग्जाम में भी आपकी काफी हद तक मदद करती है। हमारे इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।

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