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दोस्तो आम तौर पर आप सभी भूत प्रेत पिशाच के बारे में अपने बड़े बुजुर्ग लोगों से सुनते रहते होंगे। लेकिन क्या आप ने कभी ब्रह्मा राक्षस के बारे में सुना है। अगर आप नही जानते कि ब्रह्मा राक्षस किसे कहते है। ये कौन होते है और ये कितने शक्तिशाली होते है, तो आज के इस पोस्ट में हम आपको ब्रह्मा राक्षस से जुड़े रोचक जानकारी देने वाले है। इस पोस्ट को पूरा पढ़े और अगर पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें।
ब्रह्मा राक्षस क्या है?
ब्रह्मा राक्षस वे दैत्य होते है जिनके पास ब्रह्मा का ज्ञान होता है। लेकिन वो अपनी इन शक्तियों का प्रयोग बुरे कामो के लिए करते है। ये बहुत ज्यादा शक्तिशाली भी होते है। पुराणों में लिखा गया है कि ब्रह्मराक्षस आधे देव और आधे दैत्य होते है। अजीब बात यह है कि इन ब्रह्मराक्षस के बारे में हमारे पुराणों में भी बहुत कम जानकारी दी गई है। ब्रह्मा राक्षसों का जिक्र श्री कृष्ण के वक़्त में पुराणों में हुआ है।
ब्रह्मा राक्षस कौन होते है?
अगर हम हिन्दू धर्म की माने तो मनुष्य के मरने के बाद उसका विभाजन गति और कर्म के आधार पर होता है। भूत प्रेत पिशाच कुष्मांडा ब्रह्मराक्षस बेताल और क्षेत्रपाल इन सभी भागों में विभाजित होते है। फिर इन सभी के उपभाग भी होते है। अगर हम आयुर्वेद की माने तो प्रेत 18 प्रकार के होते है। इसमें से भूत पहला क्रम में है, जब कोई व्यक्ति मरता है तो सबसे पहले वह भूत बनता है।
इसी क्रम में आगे बढ़ने पर ब्रह्मराक्षस आते है। ब्रह्मराक्षस उन आत्माओं को कहा जाता है जो उच्च जन्म लेते है। लेकिन उनके कर्म बुरे होते है, या फिर वे लोग जो अपनी ज्ञान और प्रतिभा का प्रयोग समाज कल्याण के बजाए अपनी निजी स्वार्थ या गलत कामों के लिए करते है। ऐसे लोग ही मरने के बाद अपने ज्ञान और प्रतिभा के कारण ब्रह्मराक्षस बन कर अपनी सज़ा भुगतते है।
ब्रह्मराक्षस कैसे होते है?
जो व्यक्ति बुद्धिमान और उच्च कुल में होने के बावजूद बुरे कर्म करता है। वो व्यक्ति मरने के बाद ब्रह्मराक्षस बन जाता है जोकि बहुत ही शक्तिशाली होता है। ब्रह्मराक्षस खामोश रहकर अनुशासन से जीवन यापन करते है। ये घंटो घंटो एक ही अवस्था में बैठे या खड़े रहते है। ये बहुत सारा खाना खाते है।
ब्रह्मराक्षस अपने सीखने के स्तर को बनाये रखते है। लेकिन इनकी बुरी बात यह है कि ये मनुष्यों को खाते है। वे अपने पिछले जन्म की यादों के साथ साथ वेद और पुराणों का ज्ञान अपनी यादों में सहेज कर रखते है। अगर देखा जाए तो इनका आधा हिस्सा ब्रह्म यानी देव होता है और आधा हिस्सा दैत्य यानी दानव का होता है।
ब्रह्मराक्षस को कैसे मारा जा सकता है?
अगर हम हिन्दू धर्म ग्रंथो की माने तो ये ब्रह्मराक्षस बहुत ही शक्तिशाली आत्मा होने के साथ साथ ये कई तरह की दूसरी शक्तियों के मालिक भी होते है। ब्रह्मराक्षस को सिर्फ कुछ चुनिंदा लोग या किसी शक्तिशाली राशि में जन्म लिया व्यक्ति ही मार सकता है और उन्हें मुक्ति दे सकता है।
ब्रह्मराक्षस को मुक्ति कैसे दी जा सकती है?
गीता में ब्रह्मराक्षस की मुक्ति का मार्ग बड़ा ही सरल बताया गया है। गीता में एक जगह बताया गया है कि एक ऋषि मुनि एक वृक्ष के नीचे गीता के श्लोकों का उच्चारण कर रहे थे। उस वृक्ष पे बैठे ब्रह्मराक्षस ने उन श्लोकों को आधा ही गलती से सुन लिया और फिर उसे मुक्ति मिल गयी।
ब्रह्मराक्षस के मंदिर कहाँ कहाँ पाए जाते है?
ब्रह्मराक्षस के मंदिर ज्यादातर भारत के मध्य और दक्षिण भारत के इलाकों में पाया जाता है। महाराष्ट्र और केरल में सबसे ज्यादा ब्रह्मराक्षस के मंदिर या उनकी मूर्ति देखने को मिलती है। ब्रह्मराक्षस की पूजा भी की जाती है और कोई भी निर्माण कार्य शुरू करने से पहले उनकी पूजा करके उनकी अनुमति ली जाती है। भारत में ब्रह्मराक्षस का सबसे प्रसिद्ध मंदिर केरल के कोट्टायम में उपस्थित है। अगर आप कभी कोट्टायम जाए तो ब्रह्मराक्षस के मंदिर जरूर जाए।
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