चंद्रयान 2 मिशन 2019 पार्ट-2

Md Danish Ansari
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दोस्तों पिछली पोस्ट में हमने चंद्रयान 2 मिशन से जुड़े कई अलग अलग चीजों और विषयों के बारे में हमने आपको बताया था. आज चंद्रयान 2 के इस दुसरे पार्ट में हम आपको उसके आगे की पूरी जानकारी देने जा रहे है, तो प्लीज इस पोस्ट को पूरा पढ़े.

चंद्रयान अभियान का इतिहास

सबसे पहले 12 नवम्बर 2007 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान और रूस की सरकारी अन्तरिक्ष अनुसन्धान एजेंसी रोसकोसमोस के प्रतिनिधियों द्वारा मिलकर चंद्रयान 2 मिशन को पूरा करने के लिए एक समझोते पर हस्ताक्षर किये थे.
इस समझोते के तहत ऑर्बिटर और रोवर की जिम्मेदारी इसरो की थी. वही दूसरी और रुसी अन्तरिक्ष खोज एजेंसी की जिम्मेदारी लैंडर की थी. उसके बाद 18 सितम्बर 2008 को भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री मनमोहन सिंह जी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस अभियान को अपनी स्वीकृति दे दी.
उसके बाद अन्तरिक्ष यान की डिजाईन को 2009 में पूरा कर लिया गया जिसमे दोनों देश भारत और रूस ने मिलकर काम किया था. इसके साथ ही इसरो ने पेलोड को चंद्रयान 2 के अनुसार पेलोड को अंतिम रूप दिया. उसके बाद कुछ अंदुरनी कारणों की वजह से इसे 2013 में ताल दिया गया.
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GSLV-MK-3
उसके बाद यह फिर से शुरू किया गया 2016 में, लेकिन रूस जिसे चंद्रयान 2 के लिए लैंडर को विकसित करना था. वह इस काम को करने में असमर्थ रहा, इसके साथ ही रोसकोसमोस ने मंगल ग्रह के लिए अपने भेज़े फोबोस-ग्रन्ट अभियान मे उसे विफलता मिली. जिसके कारण चंद्रयान -2 कार्यक्रम से रूस की एजेंसी रोसकोसमोस को अलग कर दिया गया.
रोसकोसमोस के अलग होने के बाद इसरो ने चंद्रयान 2 अभियान को पूरी तरह से स्वदेशी बनाने का निर्णय लिया.

पेलोड में बदलाव

इसरो ने घोषणा की थी की चंद्रयान पर पांच और चन्द्रवाहन पर दो पेलोड भेजे जायेंगे. इसके साथ ही ऐसी सुचना मिली थी की नासा और ESA भी इस अभियान को पूरा करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरण इसरो को मुहैया करवायेंगे. उसके बाद इसरो ने इसे कैंसिल कर दिया.
इसरो ने इसके जवाब में कहा की चंद्रयान में वजन प्रतिबन्धो की वजह से वह किसी भी गैर भारतीय पेलोड को नहीं ले जायेगा.

ऑर्बिटर पेलोड

  • चाँद की सतह पर मौजूद प्रमुख तत्वों की मैपिंग (मानचित्रण) के लिए इसरो अपने उपग्रह केन्द्र (ISAC), बंगलौर से लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास) और फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद से सोलर एक्स-रे मॉनिटर (XSM) लगाया गया है.
  • स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद से एल और एस बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर); चाँद की सतह पर वॉटर आइस (बर्फीले पानी) सहित अन्य तत्वों की खोज के लिए लगाया गया. एसएआर से चन्द्रमा के छायादार क्षेत्रों के नीचे वॉटर आइस की उपस्थिति की पुष्टि करने वाले और अधिक साक्ष्य प्रदान किये जाने की उम्मीद की जा रही है.
  • स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद से इमेजिंग आईआर स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS); खनिज, पानी, तथा हाइड्रॉक्सिल की मौजूदगी संबंधी अध्ययन हेतु चाँद की सतह के काफी विस्तृत हिस्से का मानचित्रण यानि मपिंग करने के लिए इसमें लगाया गया है.
  • अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (SPL), तिरुअनंतपुरम से न्यूट्रल मास स्पेक्ट्रोमीटर (ChACE2); चाँद के बहिर्मंडल की विस्तृत अध्ययन के लिए लगाया गया है.
  • स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद से टेरेन मैपिंग कैमरा-2 (टीएमसी-2); चाँद के खनिज-विज्ञान तथा भूविज्ञान के अध्ययन के लिए आवश्यक त्रिआयामी मानचित्र को तैयार करने के लिए लगाया गया है.

लैंडर पेलोड

  • सेइसमोमीटर(Seismometer) – लैंडिंग साइट के पास भूकंप के अध्ययन के लिए उपयोग किया जा रहा है.
  • थर्मल प्रोब – चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों का आकलन करने के लिए लगाया गया है.
  • लॉंगमोर प्रोब(Langmuir probe) – घनत्व और चंद्रमा की सतह प्लाज्मा मापने के लिए लगाया गया है.
  • रेडियो प्रच्छादन प्रयोग(Radio occultation) – कुल इलेक्ट्रॉन सामग्री को मापने के लिए लगाया गया है.

रोवर पेलोड

  • लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक सिस्टम्स (LEOS), बंगलौर से लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS)
  • PRL, अहमदाबाद से अल्फा पार्टिकल इंड्यूस्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (APIXS). इन सब को चंद्रयान 2 में लगाया गया है.
इसके साथ ही दोस्तों चंद्रयान 2 को भारत के भीमकाय रोकेट GSLV-MK-3 से भेजा जायेगा. क्योकि चंद्रयान का भर ज्यादा है इसी लिए इसरो ने इसी रोकेट का चयन किया है. यह रोकेट अन्तरिक्ष में 4 टन भर को ले जाने में पूरी तरह से सक्षम है.

चाँद पर पानी होने के साबुत

दोस्तों 2009 सितम्बर में नासा के वैज्ञानिको ने यह घोषणा की थी की चाँद के दक्षिणी हिस्से में पानी के होने के संकेत मिले है. नासा के वैज्ञानिको को यह संकेत LCROSS उपग्रह से प्राप्त हुए थे, इसके साथ ही नासा ने कहा था की. भारत के द्वारा भेजा गया चंद्रयान 1 के डाटा बताते है की चाँद पर पानी मौजूद है.
यह पानी चाँद पर तरल में न हो कर बल्कि बर्फ के रूप में मौजूद है. इस जानकारी की पुष्टि कई अलग अलग अन्तरिक्ष यानो के द्वारा भी की गयी है. जिससे इस बात को बल मिलता है की चाँद पर पानी मौजूद है.

इसरो का चाँद पर बसेरा

जी हाँ दोस्तों इसरो ने चंद्रयान 1 की सफलता के बाद ही चाँद पर इंसानों को बसाने के लिए प्लान कर रहा है. इसमें अभी थोडा वक़्त है लेकिन जल्द ही इसरो इस काम में भी तेज़ी लायेगा और इसे अपने अंजाम तक पहुँचा देगा,
चाँद पर जो घर होंगे वह गुम्बद नुमा होंगे. चुकी चाँद का वायुमंडल पृथ्वी से बिलकुल अलग है. जब चाँद पर दिन होता है तो बर्दास्त न कर सकने वाली गर्मी पड़ती है. वही जब रात होती है तो सब कुछ जमा देने वाली ठण्ड, इसी लिए दोस्तों इसरो ऐसे घर डिजाईन करेगा.
जो गर्मी और ठंडी दोनों को झेल सके और सभी निवासी सुरक्षित रहे. इसके लिए सबसे अच्छा मॉडल बर्फीले जगहों में बनाये जाने वाले गुम्बद नुमा घरो को माना जा रहा है. खैर ये तो भविष्य की बाते है अब देखना यह है की इंसान कब तक चाँद पर एक बस्ती बसा पाता है.
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