भारत की चाँद पर एक और छलाँग Mission ChandraYaan-2 Launch

Md Danish Ansari
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mission chandrayaan 2

दोस्तों जैसा की आप सभी जानते होंगे की कल सुबह 22/07/2019 दिन सोमवार को श्रीहरिकोटा से इसरो ने चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित कर दिया है. एक सप्ताह पहले तकनिकी खराबी आने के कारण चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण रोक दिया गया था. इस मिशन की कुल लागत 978 करोड़ रुपये है और इसी लिए इसरो इसके प्रक्षेपण में किसी तरह की कोई गलती नहीं चाहता था.
भारत के बहुत ही महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक है चंद्रयान 2, इसे सबसे शक्तिशाली रोकेट GSLV-Mark 3 – M1 से प्रक्षेपित किया गया है. इसका प्रक्षेपण चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र में दूसरे लांच पैड से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण दोपहर दो बजकर 43 मिनट पर किया गया.

क्या है चंद्रयान-2

चंद्रयान 2 चाँद के दक्षिणी हिस्से में उतरेगा और उस हिस्से की छानबीन करेगा. चंद्रयान 2 को चन्द्रमा पर उतरने में करीब 15 मिनट का समय लगेगा. ये पन्द्रह मिनट भारतीय वैज्ञानिको के लिए दिल थाम लेने वाले होंगे, क्योकि यह तकनिकी रूप से बहुत जटिल और मुश्किल काम है. इससे पहले किसी भी देश ने चाँद के दक्षिणी हिस्से कोई यान नहीं उतारा है और भारत ऐसा करने वाला पहला देश होगा.
चंद्रयान 2 को चाँद पर उतरने के लिए जितना समतल भूमि और प्रकाश की जरुरत है वह उसे मिल जायेगा. चुकी चन्द्रवाहन यानि रोवर को चलने के लिए सूर्य के प्रकाश की जरुरत होगी. ताकि उसकी बैटरी चार्ज होते रहे और रोवर बिना रुके चलता रहे और अपना काम करे.
इस वक़्त पूरी दुनिया की नज़र भारत और चंद्रयान 2 पर टिकी है. क्योकि भारत ने 10 साल के अन्दर ही ये दूसरा प्रक्षेपण किया है चाँद पर जाने के लिए. भारत में भी चंद्रयान 2 को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह का माहोल है.
चंद्रयान 2 को जिस रोकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा गया है उसका नाम है GSLV Mark-3 यह भारत द्वारा बनाया गया है. यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर विकसित किया गया रोकेट है. यह अभियान तीन भागो में पूरा बटा हुआ है- पहला है लैंडर (चन्द्र अवतरण) दूसरा है ऑर्बिटर (चंद्रयान) और तीसरा है रोवर (चन्द्रवाहन).
इसमें दोस्तों लैंडर का नाम रखा गया है विक्रम और रोवर का नाम रखा गया प्रज्ञान. इसका वजन 3.8 टन है और इसकी कुल लागत 603 करोड़ रुपये है.

चंद्रयान 2 का डिजाईन

( 1 ) अंतरिक्ष यान
दोस्तों इस पुरे अभियान को श्रीहरिकोटा द्वीप के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान(GSLV MK III) द्वारा भेजा गया है. जब यह यान उड़ान के लिए तैयार था उस वक़्त इस पुरे यान का वजन लगभग 3,250 किलो था.
( 2 ) चंद्रयान ऑर्बिटर
इस यान को पांच पेलोड के साथ भेजा जायेगा, चंद्रयान ऑर्बिटर चन्द्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर चन्द्रमा की परिक्रमा करेगा. इनमे से तीन पेलोड नए हैं, जबकि दो अन्य चंद्रयान-1 ऑर्बिटर पर भेजे जाने वाले पेलोड के उन्नत संस्करण हैं.
इसके साथ ही दोस्तों उड़ान के समय इसका कुल वजन 1400 किलो होगा. इसमें ऑर्बिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera) लैंडर के ऑर्बिटर से अलग होने पूर्व लैंडिंग साइट के उच्च रिज़ॉल्यूशन तस्वीर लेगा. चंद्रयान का ऑर्बिटर और उसके जीएसएलवी प्रक्षेपण यान के बीच इंटरफेस को अंतिम रूप देगा.
( 3 ) विक्रम  चंद्रअवतरण यान (लैंडर)
दोस्तों जैसा की हम सभी जानते है की भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान के पितामह विक्रम साराभाई थे. इसीलिए चंद्रयान के लैंडर का नाम भी विक्रम रखा गया है विक्रम साराभाई के सम्मान में है.
चंद्रयान 2 का लैंडर चन्द्रमा की सतह पर धीरे धीरे उतरेगा, जबकि इससे पहले चंद्रयान 1 चाँद की सतह से सीधे टकरा कर उतरा था, जिसे moon impect कहते है. लैंडर और रोवर का कुल वजह 1250 किलो होगा.
शुरू में लैंडर को रूस और भारत के सहयोग से विकसित किया जाना था लेकिन साल 2015 में रूस ने इसे विकसित करने से मना कर दिया. जिसके बाद हमारे भारतीय वैज्ञानिकों ने इसे खुद पूर्ण रूप से डिजाईन किया और इसे विकसित किया है.
अगर रूस ने लैंडर को विकसित करने से मना ना किया होता तो चंद्रयान 2 बहुत पहले ही अपने मिशन के लिए रवाना हो जाता. चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के लिए रिसर्च टीम ने लैंडिंग मेथड की पहचान की. इससे जुड़े प्रौद्योगिकियों का अध्ययन किया। इन प्रौद्योगिकियों में उच्च संकल्प कैमरा, नेविगेशन कैमरा, खतरा परिहार कैमरा, एक मुख्य तरल इंजन (800 न्यूटन) और अल्टीमीटर, वेग मीटर, एक्सीलेरोमीटर और इन घटकों को चलाने के लिए सॉफ्टवेयर आदि है.
लैंडर के मुख्य इंजन को सफलतापूर्वक 513 सेकंड की अवधि के लिए परीक्षण किया जा चुका था. सेंसर और सॉफ्टवेयर के बंद लूप सत्यापन परीक्षण 2016 के मध्य में परीक्षण किया गया. लैंडर के इंजीनियरिंग मॉडल को कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के चुनलेरे में अक्टूबर 2016 के अंत में भूजल और हवाई परीक्षणों के दौर से गुजरना शुरू किया. इसरो ने लैंडिंग साइट का चयन करने के लिए और लैंडर के सेंसर की क्षमता का आकलन करने में सहायता के लिए चुनलेरे में करीब 10 क्रेटर भी बनाये थे.
( 4 ) प्रज्ञान चंद्रवाहन (रोवर)
Pragyan Rover भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान के द्वारा विकसित किया गया है. चन्द्रवाहन रोवर का वजन लगभग 20 से 30 किलो का होगा. यह रोवर सौर उर्जा से चलेगा इसके साथ ही इसमें पहिये लगे है जिसकी मदद से यह एक जगह से दूसरी जगह पर जा सकेगा.
रोवर चन्द्रमा पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों का नमूना एकत्र करके उनका रासायनिक परिक्षण करेगा. चन्द्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर मौजूद ऑर्बिटर को रोवर सारा डाटा भेज देगा. जिसके बाद ऑर्बिटर उन सभी डाटा को पृथ्वी पर मौजूद अन्तरिक्ष स्टेशन पर भेजेगा.
जिसके बाद भारतीय वैज्ञानिक इसका विश्लेषण और अध्ययन करके हमारे चाँद के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल कर पायेंगे. चन्द्रवाहन को आईआईटी कानपुर ने इसकी तीन उप प्रणालियों को विकसित किया है –
  1. Stereoscopic Camera Based 3D Vision – जमीन टीम को रोवर नियंत्रित के लिए रोवर के आसपास के इलाके की एक 3डी विज़न प्रदान करेगा.
  2. Kinetic Traction Control – इसके द्वारा रोवर को चन्द्रमा की सतह पर चलने में सहायता मिलेगी और अपने छह पहियों के द्वारा यह स्वतन्त्र रूप से काम करने की क्षमता प्रदान करता है.
  3. Control and motor mobility – रोवर के छह पहियों होंगे,प्रत्येक स्वतंत्र बिजली की मोटर के द्वारा संचालित होंगे. इसके चार पहिए स्वतंत्र स्टीयरिंग में सक्षम है. कुल 10 बिजली की मोटरों कर्षण और स्टीयरिंग के लिए इस्तेमाल कि जाएगी.
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उम्मीद है दोस्तों आपको यह जानकारी पसंद आई होगी. चंद्रयान 2 के बारे में हम अगली पोस्ट में आपको और ज्यादा बताएँगे. यह पोस्ट चंद्रयान 2 का पहला पोस्ट है इसके साथ हम एक दूसरा पोस्ट भी पब्लिश करेंगे. जिसमे चंद्रयान 2 से जुड़े और भी बाते होंगी.
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